government schemes for women’s empowerment in india pdf महिला सशक्तिकरण pdf महिला विकास योजना स्कीम 2023 के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण योजना PDF के साथ ही लाभार्थी अप्लाई लिंक पायें।

महिला सशक्तिकरण योजना बनाने की वजह आज के आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण एक विशेष चूर्ण का विषय है। हमारे आदि ग्रंथों में नारी के महत्व को मानते हुए यहाँ तक, बताया गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रसन्ते तत्र देवता:” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है। लेकिन बिडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने बावजूद श्री ऐसे सशक्तिकरण की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके अधिक सशक्तिकरण फैसलों, आय संपति और दूसरे ‘वस्तुओं’ की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा कर सकती है। राष्ट्र के विकास में महिलाओं का महत्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिए मातृ दिवस, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे है।
भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने हे लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों “और मूल्यों को मारने वाली उन सब राक्षसी सोंच को मारना जरूरी है जैसे-दहन “अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भूर्ण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दुसरे विषय।
अपने देश में उच्च सार की लैंगिक असमानता है। जहाँ महिलाएं अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। भारत में अनपढ़ों की संख्या में महिलाएं सबसे अव्वल है।
नारी सशक्तिकरण का अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जायेगी और उन्हें इस काबिल बनाया जायेगा कि वो हर क्षेत्र में आगे होकर फैसले कर सके।
government schemes for women’s empowerment in india pdf में महिला सशक्तिकरण योजना में महिलाओं के उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है। परिवार और समाज में रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाना ही महिला महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य है।
महिला रोजगार के अर्थ है –
- महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिये ऐसी गतिविधियों का संचालन करना/करवाना जिससे महिला/महिला समूहों को वित्त पोषण, प्रशिक्षण तथा अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो सके एवं वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी होकर अपना एवं परिवार का जीवन यापन कर सके।
- निम्नलिखित प्रयोजनों के लिये महिलाओं को ऋण/आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने की योजनाओं का संवर्धन, पोषण और उनमें सहायता देना। जैसे –
- उनके मौजूदा रोजगार को बनाए रखना/बढ़ावा देना।
- नियोजन के और अधिक अवसर उत्पन्न करने के लिये उपयुक्त वातावरण का निर्माण।
- परिसम्पत्ति सृजन।
- पूंजी परिशोधन, तथा
- आकस्मिक ऋण की जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रबंध करना।
- आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तथा महिला सशक्तिकरण के लिये महिला समूहों के गठन में पहल तथा सहभागिता।
- निर्धन महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिये अवसर/सेवाऐं उपलब्ध कराना तथा नवीन प्रयोगो को बढ़ावा देना।
- विद्यमान शासकीय तंत्र को संवेदनशील एवं महिला उन्मुख बनाना तथा वित्तीय संस्थाओं तक महिलाओं की पहुच/उनमें भागीदारी सुनिश्चित करना।
- ऋण और उसके उचित प्रबंधन, ऋण पद्धतियों का विकास/प्रसार तथा महिलाओं के सामाजिक आर्थिक एवं मानसिक विकास हेतु अनुसंधान, अध्ययन, विश्लेषण करना/कराना।
- महिला संगठनों/संस्थाओं/स्वयं सहायता समूहों के बीच आपसी सहयोग के तंत्र को प्रोत्साहित करना, उनके बीच अनुभव तथा जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना ताकि उनमें अपनी समस्याओं के निवारण हेतु सामूहिक प्रयास का कौशल विकसित किया जा सके।
- महिलाओें में उद्यमिता को बढ़ावा देना। इस हेतु आवश्यक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन एवं सुविधायें उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
- महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम/योजनाओं के क्रियान्वयन में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, ऋण संस्थाओं, औद्योगिक और वाणिज्यिक संगठनों, अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं तथा अन्य संगठनों और निकायों के साथ समन्वय/सहयोग करना और उनका सहयोग प्राप्त करना।
- कोष के उद्देश्यों और लक्ष्यों के अनुरूप शर्तो पर अनुदान, अंशदान, दान, ऋण, गारन्टी, उपहार, इत्यादि प्राप्त करना।
- कोष के लक्ष्य एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विधि सम्मत ऐसी सभी कार्यवाही करना जो सहायक अथवा आवश्यक हों।
- शासकीय व अर्द्ध शासकीय संस्थाओं के लिये परामर्श सेवाओं को उपलब्ध कराना (विभिन्न कार्य जैसे किसी परियोजना का कार्यान्वित करना, मार्गदर्शन देना, अनुश्रवण तथा मूल्यांकन एवं अध्ययन करना, प्रशिक्षण आयोजित करना) एवं महिलाओं तथा बालकों से संबंधित राज्य सरकार, भारत सरकार की योजनाऐं कार्यान्वित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय संस्थानों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा सम्पोषित/संचालित महिलाओं के विकास के कार्यक्रमों/योजनाओं/परियोजनाओं को कार्यान्वित करना कार्यान्वयन में सहयोग करना।
- संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग को छ.ग. महिला कोष से आवश्यक जानकारी, मार्गदर्शन एवं सहायता प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- कोष ऐसे सभी अतिरिक्त कार्य जो कि समय पर उसे शासन द्वारा सौंपे जावे उसका निर्वहन करेगा।
महिला सशक्तिकरण योजना आवश्यकता
महिला सशक्तिकरण योजना की आवश्यकता महिलाओं को क्यूँ है यह जानने के लिए नीचें बताये गये विवरणों को पढ़ें:
भारत में महिला सशक्तिकरण योजना की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के समान स्तर में काफ़ी कमी आयी।
- आधुनिक युग में महिलाएं कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ है, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएं आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
- शिक्षा के मामले में भी महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा काफ़ी पीछे है। महिलाओं की शिक्षा दर मात्र 60 प्रतिशत ही है।
- भारत के शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के अपेक्षा अधिक रोजगार शील है। आँकड़ो के अनुसार 30 प्रतिशत महिलाएं कार्य करती है।
- भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता की एक और आवश्यकता भुगतान में आवश्यकता भी है।
- भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी केवल महिलाओं की है मतलब, पुरे देश के विकास के लिए इस आबादी की जरूरत है।
- भारतीय समाज में महिलाओं को समान देने के लिए माँ बहन, पुत्री, पत्नी के रूप में महिला देवियों को पूजने की परंपरा है लेकिन आज केवल यह ढोंग मात्र रह गया है।
- पुरुष पारिवारिक सदस्यों द्वारा समाजिक राजनीतिक अधिकार को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया।
- पिछले कुछ वर्षों में महिलायों के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिए सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक द्वारा और कानून अधिकार बनाए और लागु किये गए हैं।
- आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक है, जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं सेवी और एन.जी.ओ. इस दिशा में कार्य कर रहें हैं।
महिला सशक्तिकरण pdf
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